Hindu Dharm Aur Dharohar : Shankayein Aur Samadhan

Hindu Dharm Aur Dharohar : Shankayein Aur Samadhan

550.00

सामान्य हिन्दू का अपने धर्म के विषय में ज्ञान बहुत अल्प है और जो थोड़ा बहुत है भी, वो भी संदिग्ध स्त्रोतों से प्राप्त होने के कारण त्रुटिपूर्ण है । आधुनिक हिन्दू दोहरे आक्रमण के शिकार रहे हैं । पहला आक्रमण उस शिक्षा व्यवस्था का रहा है जिसने छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दू धर्म और उसकी महान धरोहर को पहले तो नेपथ्य में धकेल दिया, और उन्हें जान–बूझकर हीन दिखाने का प्रयास किया । दूसरा आक्रमण मनोरंजन उद्योग की उस व्यवसायिक मानसिकता का रहा है जिसने धन कमाने के लोभ में हिन्दू धर्म को कौतुक की वस्तु बना दिया जो अंधविश्वास, चमत्कारों, टोने–टोटके और नाटकीयता से भरा पड़ा है । यह बहुत ही शोचनीय स्थिति है और एक समुदाय, एक संगठन के रूप में हिन्दुओं के कमज़ोर होते जाने का एक प्रमुख कारण भी । यह पुस्तक ‘प्रश्न और उत्तर’ की शैली में लिखी गई है और हर प्रश्न के दो उत्तर, संक्षिप्त और विस्तृत, दिए गए हैं । आपकी जितनी जिज्ञासा या रुचि हो, उतना पढ़ सकते हैं । इसमें आप वह सब कुछ पाएँगे जिनके बारे में कभी न कभी आपके मन में जिज्ञासा अवश्य उत्पन्न हुई होगी, लेकिन ऐसी कोई पुस्तक कभी नहीं मिली होगी जो हाथों–हाथ आपकी जिज्ञासा शान्त कर सके ।

ASIN ‏ : ‎ B0CTZQFJP4
Publisher ‏ : ‎ Sannidhya Books (31 January 2024); 9810101036
Language ‏ : ‎ Hindi
Hardcover ‏ : ‎ 208 pages
Reading age ‏ : ‎ 18 years and up
Country of Origin ‏ : ‎ India
Packer ‏ : ‎ Sannidhya Books

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Hindu Dharm Aur Dharohar : Shankayein Aur Samadhan
Price: ₹550.00
(as of Nov 09, 2024 06:51:30 UTC – Details)



सामान्य हिन्दू का अपने धर्म के विषय में ज्ञान बहुत अल्प है और जो थोड़ा बहुत है भी, वो भी संदिग्ध स्त्रोतों से प्राप्त होने के कारण त्रुटिपूर्ण है । आधुनिक हिन्दू दोहरे आक्रमण के शिकार रहे हैं । पहला आक्रमण उस शिक्षा व्यवस्था का रहा है जिसने छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दू धर्म और उसकी महान धरोहर को पहले तो नेपथ्य में धकेल दिया, और उन्हें जान–बूझकर हीन दिखाने का प्रयास किया । दूसरा आक्रमण मनोरंजन उद्योग की उस व्यवसायिक मानसिकता का रहा है जिसने धन कमाने के लोभ में हिन्दू धर्म को कौतुक की वस्तु बना दिया जो अंधविश्वास, चमत्कारों, टोने–टोटके और नाटकीयता से भरा पड़ा है । यह बहुत ही शोचनीय स्थिति है और एक समुदाय, एक संगठन के रूप में हिन्दुओं के कमज़ोर होते जाने का एक प्रमुख कारण भी । यह पुस्तक ‘प्रश्न और उत्तर’ की शैली में लिखी गई है और हर प्रश्न के दो उत्तर, संक्षिप्त और विस्तृत, दिए गए हैं । आपकी जितनी जिज्ञासा या रुचि हो, उतना पढ़ सकते हैं । इसमें आप वह सब कुछ पाएँगे जिनके बारे में कभी न कभी आपके मन में जिज्ञासा अवश्य उत्पन्न हुई होगी, लेकिन ऐसी कोई पुस्तक कभी नहीं मिली होगी जो हाथों–हाथ आपकी जिज्ञासा शान्त कर सके ।

ASIN ‏ : ‎ B0CTZQFJP4
Publisher ‏ : ‎ Sannidhya Books (31 January 2024); 9810101036
Language ‏ : ‎ Hindi
Hardcover ‏ : ‎ 208 pages
Reading age ‏ : ‎ 18 years and up
Country of Origin ‏ : ‎ India
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