Rahasyamay Vakri Graha ( रहस्यमय वक्री ग्रह ) Mystery of Retrograde Planets And Laghu Parashari ( लघु पाराशरी ) Set of 2 Books In Hindi Pu…

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154.50

Rahasyamay Vakri Graha ( रहस्यमय वक्री ग्रह ) Mystery of Retrograde Planets And Laghu Parashari ( लघु पाराशरी ) Set of 2 Books In Hindi Published By Shree Pranav Pustakayan Private Limited And Ranjan Publications ( Best Astrology Books ) ( Book Size 14CM*21CM ) , Pages – 301 , MRP – 310 , ” वक्री ग्रह जातक के जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव डालेंगे, यह जिज्ञासा का विषय रहा है l इस पर प्रकाश डालने का एक छोटा सा प्रयास इस पुस्तक के रूप में प्रस्तुत है l वक्री गति से चलने की योग्यता रखने वाले पांच ग्रह बुध , शुक्र , मंगल , गुरु ,व शनि का खगोलीय विश्लेषण विस्तार से किया गया है l ज्योतिष के विभिन्न ग्रंथों से इस विषय पर विद्वानों द्वारा दिए गए श्लोकों का संकलन भी है l यह पुस्तक आपके पूर्व प्रकाशित कार्य मिस्ट्री ऑफ़ रेट्रोग्रेड प्लैनेट्स का हिंदी संस्करण है l इस पुस्तक में आप पाएंगे : १ वक्री गति का खगोलीय दृष्टिकोण से विवेचन २ मंद, कुटिल,वक्र और अनुवक्र गतियों का सरल विवेचन और पहचान ३ नक्षत्र और ग्रहों की वक्री गति ४ ज्योतिष ग्रंथों में वक्री ग्रहों का विवरण और फलादेश की विधि ५ वास्तविक कुंडलियों द्वारा वक्री ग्रहों के प्रभाव का आकलन ६ राजनैतिक , सामाजिक कार्यक्षेत्र के लोगों की वास्तविक कुंडलियों का परिक्षण ७ कलाकार , फ़िल्मी हस्तियां, कवि, गायक आदि की कुंडलियां और वक्रत्व का प्रभाव ८ क्रीडाजगत के असल उदाहरणों से वक्रत्व के परिणाम ९ वैवाहिक सम्बन्ध और वक्री ग्रह १० संतान सुख और वक्री ग्रह ११ विविध व्यक्तित्व और वक्री ग्रह १२ वक्र गति के फल और परिणाम ” ” लघु पाराशरी हमारी उस प्राचीन प्रतिपादन शैली का एक उत्कृष्ट व जिसके दर्शन हमें संस्कृत के सूत्रकारिका संग्रह आदि अनूठा नमूना पद्धति से रचित ग्रन्थों में होते हैं। जिस प्रकार पाणिनीय व्याकरण में प्रवेश पाने के लिए लघु सिद्धान्त कौमुदी के महत्त्व को सभी जानते हैं, उसी प्रकार फलित ज्योतिष के गहरे अध्ययन की ओर अग्रसर जिज्ञासुओं के लिए यह पुस्तक मुख्य प्रवेश द्वार है। यही कारण है कि सुदीर्घ काल से यह फलित ज्योतिष के पठन-पाठन में अपना अक्षुण्ण स्थान बनाए हुए है। सुकुमारमति छात्रों से लेकर बड़े-बड़े विद्वानों तक के मन को हर लेने वाली इस लघु पाराशरी को जहां अक्षय यश मिला, वहीं पर इसके रचयिता के विषय में निश्चय से कुछ कह पाना सम्भव नहीं है। विराट को अणु परमाणु में समेटने व उसे अन्तश्चेतना में प्रत्यक्ष करने की शक्ति से प्राचीन भारतीय मनीषियों ने भगवद्गीता, दुर्गासप्तशती, भागवत जैसे बृहद् ग्रन्थों को जिस प्रकार से सात-सात या चार श्लोकों में समेटा है उसी प्रकार पाराशर सिद्धान्तों को यहाँ केवल 42 श्लोकों में समेट दिया गया है। संक्षिप्तीकरण का यह एक श्रेष्ठतम नमूना है। सम्पूर्ण पाराशर मत का इन 42 श्लोकों में जो नवनीत प्रस्तुत किया गया है वह वास्तव में ज्योतिष में प्रवेश चाहने वाले पाठकों के लिए हृष्टि-पुष्टि व तुष्टि प्रदान करने वाला है। ”

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Rahasyamay Vakri Graha ( रहस्यमय वक्री ग्रह ) Mystery of Retrograde Planets And Laghu Parashari ( लघु पाराशरी ) Set of 2 Books In Hindi Pu…
Price: ₹154.50
(as of Feb 13, 2025 10:49:43 UTC – Details)



Rahasyamay Vakri Graha ( रहस्यमय वक्री ग्रह ) Mystery of Retrograde Planets And Laghu Parashari ( लघु पाराशरी ) Set of 2 Books In Hindi Published By Shree Pranav Pustakayan Private Limited And Ranjan Publications ( Best Astrology Books ) ( Book Size 14CM*21CM ) , Pages – 301 , MRP – 310 , ” वक्री ग्रह जातक के जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव डालेंगे, यह जिज्ञासा का विषय रहा है l इस पर प्रकाश डालने का एक छोटा सा प्रयास इस पुस्तक के रूप में प्रस्तुत है l वक्री गति से चलने की योग्यता रखने वाले पांच ग्रह बुध , शुक्र , मंगल , गुरु ,व शनि का खगोलीय विश्लेषण विस्तार से किया गया है l ज्योतिष के विभिन्न ग्रंथों से इस विषय पर विद्वानों द्वारा दिए गए श्लोकों का संकलन भी है l यह पुस्तक आपके पूर्व प्रकाशित कार्य मिस्ट्री ऑफ़ रेट्रोग्रेड प्लैनेट्स का हिंदी संस्करण है l इस पुस्तक में आप पाएंगे : १ वक्री गति का खगोलीय दृष्टिकोण से विवेचन २ मंद, कुटिल,वक्र और अनुवक्र गतियों का सरल विवेचन और पहचान ३ नक्षत्र और ग्रहों की वक्री गति ४ ज्योतिष ग्रंथों में वक्री ग्रहों का विवरण और फलादेश की विधि ५ वास्तविक कुंडलियों द्वारा वक्री ग्रहों के प्रभाव का आकलन ६ राजनैतिक , सामाजिक कार्यक्षेत्र के लोगों की वास्तविक कुंडलियों का परिक्षण ७ कलाकार , फ़िल्मी हस्तियां, कवि, गायक आदि की कुंडलियां और वक्रत्व का प्रभाव ८ क्रीडाजगत के असल उदाहरणों से वक्रत्व के परिणाम ९ वैवाहिक सम्बन्ध और वक्री ग्रह १० संतान सुख और वक्री ग्रह ११ विविध व्यक्तित्व और वक्री ग्रह १२ वक्र गति के फल और परिणाम ” ” लघु पाराशरी हमारी उस प्राचीन प्रतिपादन शैली का एक उत्कृष्ट व जिसके दर्शन हमें संस्कृत के सूत्रकारिका संग्रह आदि अनूठा नमूना पद्धति से रचित ग्रन्थों में होते हैं। जिस प्रकार पाणिनीय व्याकरण में प्रवेश पाने के लिए लघु सिद्धान्त कौमुदी के महत्त्व को सभी जानते हैं, उसी प्रकार फलित ज्योतिष के गहरे अध्ययन की ओर अग्रसर जिज्ञासुओं के लिए यह पुस्तक मुख्य प्रवेश द्वार है। यही कारण है कि सुदीर्घ काल से यह फलित ज्योतिष के पठन-पाठन में अपना अक्षुण्ण स्थान बनाए हुए है। सुकुमारमति छात्रों से लेकर बड़े-बड़े विद्वानों तक के मन को हर लेने वाली इस लघु पाराशरी को जहां अक्षय यश मिला, वहीं पर इसके रचयिता के विषय में निश्चय से कुछ कह पाना सम्भव नहीं है। विराट को अणु परमाणु में समेटने व उसे अन्तश्चेतना में प्रत्यक्ष करने की शक्ति से प्राचीन भारतीय मनीषियों ने भगवद्गीता, दुर्गासप्तशती, भागवत जैसे बृहद् ग्रन्थों को जिस प्रकार से सात-सात या चार श्लोकों में समेटा है उसी प्रकार पाराशर सिद्धान्तों को यहाँ केवल 42 श्लोकों में समेट दिया गया है। संक्षिप्तीकरण का यह एक श्रेष्ठतम नमूना है। सम्पूर्ण पाराशर मत का इन 42 श्लोकों में जो नवनीत प्रस्तुत किया गया है वह वास्तव में ज्योतिष में प्रवेश चाहने वाले पाठकों के लिए हृष्टि-पुष्टि व तुष्टि प्रदान करने वाला है। ”

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